आशा और उम्मीदों के धागों को जोड़ों कोशिशों से जब तक है सांसें बुलंद रखो इरादे। आशा और उम्मीदों के धागों को जोड़ों कोशिशों से जब तक है सांसें बुलंद र...
हड़बड़ाहट में मैं अपने स्वप्न डाल देता हूँ भट्टी में, अनेकों स्वप्न झोक देता हूँ, आह!.... भट्टी में ... हड़बड़ाहट में मैं अपने स्वप्न डाल देता हूँ भट्टी में, अनेकों स्वप्न झोक देता हूँ...
नव भारत की आशा है जो, जाने कहाँ वो हिंदी अब सो रही है... नव भारत की आशा है जो, जाने कहाँ वो हिंदी अब सो रही है...
एकांत में भी हिन्दी को अपने पास ही पाया... एकांत में भी हिन्दी को अपने पास ही पाया...
रात्रि का अन्धकार मूक, बधिर, उपेक्षित जीवन के आधारभूत मुल्यों को टटोलता इंसानो के अंतर्मन को समझने क... रात्रि का अन्धकार मूक, बधिर, उपेक्षित जीवन के आधारभूत मुल्यों को टटोलता इंसानो क...
जिसकी बंज़र ज़मीन पर इंसानियत की हरी घासें जहाँ-तहाँ उगी हुई हैं जिसकी बंज़र ज़मीन पर इंसानियत की हरी घासें जहाँ-तहाँ उगी हुई हैं